शक वंस (Saka dynasty)
\” शाक वंश \” / शिथियन वंश ( 90BC ) शक मध्य एशिया के रहने वाले थे । इन्हें सूची वंश ( काबिला ) वालों ने मध्य एशिया से भगा दिया । शक राजाओं को क्षत्रप कहा जाता था । ये भारत में आकर 5 जगहों में बसे थे । ( i ) कंधार ( अफगानिस्तान ) ( ii ) तक्षशीला ( पाकिस्तान )
( iii ) मथूरा ( UP ) ( iv ) उज्जैन ( MP ) ( चेष्टक / यशोमति ) ( v ) नासिक ( महाराष्ट्र ) ( भूमिका ) मथुरा के राजूक शाक को मालवा के शासक ने 57BC में पराजित कर दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण कर लिया । इस उपलक्ष्य में उसने 57 ई.पू. विक्रम संवत् नामक Calander चलाया । भारतीय संविधान का यह मूल Calander था , किन्तु 1957 में शक संवत् को अपना लिया गया ।
नासिक का शक शासक नहपान ने सातवाहन शासक गौतमी पुत्र सातकर्णी पर आक्रमण किया , किन्तु पराजित हो गया । इसकी जानकारी नासिक के जोगल थंबी से मिले सिक्कों से मिलती है सबसे प्रतापी शक शाक उज्जैन का रूद्रदामन था रूद्रदामन ने सातवाहन शासक वशिष्टि पुत्र पुल्लुमाची को पराजित कर दिया । रूद्रदामन का गुजरात के सौराष्ट्र प्रांत में गिरनार पहाड़ी पर जूनागढ़ अभिलेख मिला । यह संस्कृत भाषा लिखा भारत का पहला अभिलेख है ।
इस अभिलेख से यह जानकारी मिलती है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने सरकारी खर्च पर गुजरात के सौराष्ट्र में सुदर्शन झील बनवाया था । यह अभिलेख चन्द्रगुप्त मौर्य के पश्चिम में विस्तार की जानकारी देता है । रूद्रदामन ने इस झील का पुननिर्माण ( जिर्णोधार ) अपने अधि कारी शुवीशख द्वारा करवाया । गुप्त शासक स्कंदगुप्त ने भी इस झील का पुननिर्माण करवाया । Note : ब्राह्मी लीपि का आधुनिक रूप देवनागरी लिपि है । हिन्दी , सस्कृत देवनागरी लिपि में लिखी जाती है । अंतिम शक शाक रूद्रसिंह- III थे । गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शकों का सर्वनाश कर दिया और इस उपलक्ष्य में विक्रमादित्य की उपाधि धारण किया । और चांदी के सिक्के चलाए । शक शासकों ने 78 ई . में प्रारम्भ किए गए कनिष्क के Calander का इतना अधिक प्रयोग किया कि इसे शक संवत कहते हैं । ग्रेगोरियन कैलेंडर यह सूर्य पर आधारित है यह ईसा के जन्म से प्रारम्भ होता है । इसका प्रयोग सर्वाधिक होता है * ।
ग्रेगोरियन Calander के अनुसार आज 8 जनवरी , 2020 है । विक्रम संवत् – इसे मालवा शासक विक्रमादित्य IV ने 57 ई . पू . प्रारम्भ किया था । यह ग्रेगोरियन Calander से 57 वर्ष आगे है अर्थात् विक्रम संवत में तिथी ज्ञात करने के लिए ग्रेगोरियन Calander में 57 जोड़ दिया जाता है । विक्रम संवत् के अनुसार आज 8 जनवरी ( 2020 + 57 ) = 2077 ई . है । इसी कारण संविधान लागू की तिथी 1949 को विक्रम संवत् में 1949 + 57 ) = 2006 कहता है । शक् संवत – इसे कनिष्क ने 78 ई . में अपने राज्याभिषेक के समय प्रारम्भ किया । यह ग्रेगोरियन Calander से 78 ई . बाद आया । अतः यह ग्रेगोरियन Calander से 78 साल पिछे है । शक संवत में तिथी ज्ञात करने के लिए ग्रेगोरियन Calander में 78 साल घटा दिया जाता है । आज शक् संवत के अनुसार आज की तिथी 8 जनवरी ( 2020-78 ) = 1942 ई . है । विक्रम संवत् शक् संवत् , हिजरी Calander ( मुस्लिम Calander ) चन्द्रमा पर आधारित है । अतः इनका त्योहार भी हर एक वर्ष 11 दिन पिछे हो जाता है । किन्तु 3 साल बाद शक संवत में एक अतिरिक्त महिना जोड़ दिया जाता है ।